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श्रीनगर, जम्मू और कश्मीर

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श्रीनगर
Srinagar
ऊपर से दक्षिणावर्त:
श्रीनगर का विहंगम दृश्य, इंदिरा गाँधी स्मारक उद्यान, हज़रतबल, डल झील पर हाउसबोट, परी महल, शंकराचार्य मंदिर
उपनाम: धरती पर स्वर्ग
श्रीनगर is located in जम्मू और कश्मीर
श्रीनगर
श्रीनगर
जम्मू और कश्मीर में स्थिति
निर्देशांक: 34°05′N 74°47′E / 34.09°N 74.79°E / 34.09; 74.79निर्देशांक: 34°05′N 74°47′E / 34.09°N 74.79°E / 34.09; 74.79
देश भारत
प्रान्तजम्मू और कश्मीर
ज़िलाश्रीनगर ज़िला
तहसीलश्रीनगर उत्तर
शासन
 • महापौरजुनैद अज़ीम मट्टू[1]
क्षेत्रफल
 • शहर294 किमी2 (114 वर्गमील)
 • महानगर766 किमी2 (296 वर्गमील)
ऊँचाई1585 मी (5,200 फीट)
जनसंख्या (2011)
 • शहर11,80,570
 • दर्जा32वाँ
 • घनत्व4,000 किमी2 (10,000 वर्गमील)
 • महानगर12,73,312
 • Metro Rank38वाँ
भाषा
 • प्रचलितकश्मीरी, डोगरी, हिन्दी, उर्दु, गोजरी, पंजाबी, अंग्रेज़ी
समय मण्डलभामस (यूटीसी+5:30)
पिनकोड190001
दूरभाष कोड0194
वाहन पंजीकरणJK 01
लिंगानुपात888 / 1000
साक्षरता69.15%
दिल्ली से दूरी876 किलोमीटर (544 मील) पश्चिमोत्तर
मुम्बई से दूरी2,275 किलोमीटर (1,414 मील) पूर्वोत्तर (भूमि)
जलवायुCfa
वर्षण710 मिलीमीटर (28 इंच)
औसत ग्रीष्म तापमान23.3 °से. (73.9 °फ़ै)
औसत शीत तापमान3.2 °से. (37.8 °फ़ै)
वेबसाइटwww.srinagar.nic.in

श्रीनगर (Srinagar) भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य का सबसे बड़ा शहर और ग्रीष्मकालीन राजधानी है। यह कश्मीर घाटी में झेलम नदी के किनारे बसा हुआ है, जो सिन्धु नदी के एक प्रमुख उपनदी है। प्रसिद्ध डल झील और आंचार झील भी नगर-भूगोल का महत्वपूर्ण भाग हैं। कश्मीर घाटी के मध्य में बसा यह नगर भारत के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। दस लाख से अधिक जनसंख्या रखने वाला यह भारत का उत्तरतम नगर है। श्रीनगर अपने उद्यानों व प्राकृतिक वातावरण के लिए जाना जाता है और यहाँ के कश्मीर शॉल व मेवा देशभर में प्रसिद्ध है।[2][3][4][5]

श्रीनगर विभिन्न मंदिरों व मस्जिदों के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है। 1700 मीटर ऊंचाई पर बसा श्रीनगर विशेष रूप से झीलों और हाऊसबोट के लिए जाना जाता है। इसके अलावा श्रीनगर परम्परागत कश्मीरी हस्तशिल्प और सूखे मेवों के लिए भी विश्व प्रसिद्ध है। श्रीनगर का इतिहास काफी पुराना है। माना जाता है कि इस जगह की स्थापना सम्राट अशोक मौर्य ने की थी। इस जिले के चारों ओर पांच अन्य जिले स्थित है। श्रीनगर जिला कारगिल के उत्तर, पुलवामा के दक्षिण, बुद्धगम के उत्तर-पश्चिम के बगल में स्थित है। श्रीनगर प्रान्त की ग्रीष्मकालीन राजधानी है। ये शहर और उसके आस-पार के क्षेत्र एक ज़माने में दुनिया के सबसे ख़ूबसूरत पर्यटन स्थल माने जाते थे -- जैसे डल झील, शालिमार और निशात बाग़, गुलमर्ग, पहलगाम, चश्माशाही, आदि। यहाँ हिन्दी सिनेमा की कई फ़िल्मों की शूटिंग हुआ करती थी। श्रीनगर की हज़रतबल मस्जिद में माना जाता है कि वहाँ हजरत मुहम्मद की दाढ़ी का एक बाल रखा है। श्रीनगर में ही शंकराचार्य पर्वत है जहाँ विख्यात हिन्दू धर्मसुधारक और अद्वैत वेदान्त के प्रतिपादक आदि शंकराचार्य सर्वज्ञानपीठ के आसन पर विराजमान हुए थे। डल झील और झेलम नदी (संस्कृत : वितस्ता, कश्मीरी : व्यथ) में आने जाने, घूमने और बाज़ार और ख़रीददारी का ज़रिया ख़ास तौर पर शिकारा नाम की नावें हैं। कमल के फूलों से सजी रहने वाली डल झील पर कई ख़ूबसूरत नावों पर तैरते घर भी हैं जिनको हाउसबोट कहा जाता है। इतिहासकार मानते हैं कि श्रीनगर मौर्य सम्राट अशोक द्वारा बसाया गया था।[उद्धरण चाहिए]

डल झील में एक शिकारा

श्रीनगर से कुछ दूर एक बहुत पुराना मार्तण्ड (सूर्य) मन्दिर है। कुछ और दूर अनन्तनाग ज़िले में शिव को समर्पित अमरनाथ की गुफा है जहाँ हज़ारों तीर्थयात्री जाते हैं। श्रीनगर से तीस किलोमीटर दूर मुस्लिम सूफ़ी संत शेख़ नूरुद्दिन वली की दरगाह चरार-ए-शरीफ़ है, जिसे कुछ वर्ष पहले इस्लामी आतंकवादियों ने ही जला दिया था, पर बाद में इसकी वापिस मरम्मत हुई।

राजतरंगिणी में अशोक को श्रीनगर का प्रथम सम्म्राट् बताया है। इसी सन्दर्भ में हेनसांग का मानना है कि श्रीनगर का संस्थापक अशोक ही था।[6]

श्रीनगर का वास्तु

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श्रीनगर केवल प्राकृतिक सौंदर्य ही नहीं, वास्तु विरासत की दृष्टि से भी खूब समृद्ध है। यहां कई सुंदर मस्जिदें हैं। हजरत बल यहां का महत्वपूर्ण धर्मस्थल है। यहां हजरत मोहम्मद का बाल संग्रहीत होने के कारण मुसलिम समुदाय के लिए यह अत्यंत पवित्र स्थान है। संगमरमर की बनी इस सफेद इमारत का गुंबद दूर से ही पर्यटकों को इसकी भव्यता का एहसास कराता है। शाह हमदान मसजिद होने के कारण प्रसिद्ध है। 1395 में इसका पहली बार जीर्णोद्धार हुआ था। इसके बाद कई बार इसका जीर्णोद्धार किया गया। यहां की जामा मसजिद भी लकडी द्वारा निर्मित मसजिद है। इसकी इमारत तीन सौ से अधिक स्तंभों पर खडी है। ये स्तंभ देवदार वृक्ष के तने के हैं। इनके अतिरिक्त पत्थर मस्जिद, दस्तगीर साहिब एवं मख्दूम साहिब भी देखने योग्य हैं। श्रीनगर के मध्य हरीपर्वत पहाडी पर 16वीं शताब्दी में बना एक किला भी पर्यटकों को आकर्षित करता है। इसका निर्माण अफगान गवर्नर अता मुहम्मद खान ने करवाया था। अकबर ने इस किले का विस्तार किया था। दूसरी ओर डल झील के सामने तख्त-ए-सुलेमान पहाडी है। उसके शिखर पर प्रसिद्ध शंकराचार्य मंदिर है। यह प्राचीन मंदिर भगवान शंकर को समर्पित है। 10वीं शताब्दी में आदि गुरु शंकराचार्य यहां आए थे, जिसके कारण इस मंदिर का यही नाम पड गया। पहाडी से एक ओर डल झील का विस्तार तो दूसरी ओर श्रीनगर का विहंगम दृश्य देखते बनता है। पृष्ठभूमि में हिमशिखरों की भव्य कतार साफ नजर आती है।

यहां आने वाला हर सैलानी सबसे पहले श्रीनगर पहुंचता है, जो कि यहां का प्रमुख शहर तथा राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी है। श्रीनगर घाटी का मुख्य व्यावसायिक केंद्र भी है। अन्य पर्वतीय स्थलों की तुलना में यह शहर कुछ अलग लगता है। यहां के घर व बाजार पहाडी ढलानों पर नहीं बसे। एक विस्तृत घाटी के मध्य स्थित होने के कारण यह मैदानी शहरों जैसा लगता है। किंतु पृष्ठभूमि में दिखाई पडते बर्फाछादित पर्वत शिखर यह एहसास कराते हैं कि सैलानी वास्तव में समुद्रतल से 1730 मीटर ऊंची सैरगाह में हैं। हाउसबोट में रहने वालों को जब कहीं आना-जाना होता है तो पहले वे शिकारे से सडक तक आते हैं। झील के सौंदर्य को निरखने के लिए शिकारे से जरूर घूमना चाहिए। इस तरह घूमते हुए शॉल, केसर, आभूषण, फूल आदि बेचने वाले अपने शिकारे में सजी दुकान के साथ आपके करीब आते रहेंगे। यही नहीं, आप पानी में तैरते फोटो स्टूडियो में कश्मीरी ड्रेस में अपनी तसवीर भी खिंचवा सकते हैं।

निशात बाग़ की तरफ से डल झील में सूर्यास्त का दृश्य
डल झील के एक किनारे का दृश्य।

श्रीनगर का सबसे बडा आकर्षण यहां की डल झील है। जहां सुबह से शाम तक रौनक नजर आती है। सैलानी घंटों इसके किनारे घूमते रहते हैं या शिकारे में बैठ नौका विहार का लुत्फउठाते हैं। दिन के हर प्रहर में इस झील की खूबसूरती का कोई अलग रंग दिखाई देता है। देखा जाए तो डल झील अपने आपमें एक तैरते नगर के समान है। तैरते आवास यानी हाउसबोट, तैरते बाजार और तैरते वेजीटेबल गार्डन इसकी खासियत हैं। कई लोग तो डल झील के तैरते घरों यानी हाउसबोट में रहने का लुत्फलेने के लिए ही यहां आते हैं। झील के मध्य एक छोटे से टापू पर नेहरू पार्क है। वहां से भी झील का रूप कुछ अलग नजर आता है। दूर सडक के पास लगे सरपत के ऊंचे झाडों की कतार, उनके आगे चलता ऊंचा फव्वारा बडा मनोहारी मंजर प्रस्तुत करता है। झील के आसपास पैदल घूमना भी सुखद लगता है। शाम होने पर भी यह झील जीवंत नजर आती है। सूर्यास्त के समय आकाश का नारंगी रंग झील को अपने रंग में रंग लेता है, तो सूर्यास्त के बाद हाउसबोट की जगमगाती लाइटों का प्रतिबिंब झील के सौंदर्य को दुगना कर देता है। शाम के समय यहां खासी भीड नजर आती है।

भीड-भाड से परे शांत वातावरण में किसी हाउसबोट में रहने की इछा है तो पर्यटक नागिन लेक या झेलम नदी पर खडे हाउसबोट में ठहर सकते हैं। नागिन झील भी कश्मीर की सुंदर और छोटी-सी झील है। यहां प्राय: विदेशी सैलानी ठहरना पसंद करते हैं। उधर झेलम नदी में छोटे हाउसबोट होते हैं।

हाउसबोट का इतिहास

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आज हाउसबोट एक तरह की लग्जरी में तब्दील हो चुके हैं और कुछ लोग दूर-दूर से केवल हाउसबोट में रहने का लुत्फउठाने के लिए ही कश्मीर आते हैं। हाउसबोट में ठहरना सचमुच अपने आपमें एक अनोखा अनुभव है भी। पर इसकी शुरुआत वास्तव में लग्जरी नहीं, बल्कि मजबूरी में हुई थी। कश्मीर में हाउसबोट का प्रचलन डोगरा राजाओं के काल में तब शुरू हुआ था, जब उन्होंने किसी बाहरी व्यक्ति द्वारा कश्मीर में स्थायी संपत्ति खरीदने और घर बनाने पर प्रतिबंध लगा दिया था। उस समय कई अंग्रेजों और अन्य लोगों ने बडी नाव पर लकडी के केबिन बना कर यहां रहना शुरू कर दिया। फिर तो डल झील, नागिन झील और झेलम पर हाउसबोट में रहने का चलन हो गया। बाद में स्थानीय लोग भी हाउसबोट में रहने लगे। आज भी झेलम नदी पर स्थानीय लोगों के हाउसबोट तैरते देखे जा सकते हैं। शुरुआती दौर में बने हाउसबोट बहुत छोटे होते थे, उनमें इतनी सुविधाएं भी नहीं थीं, लेकिन अब वे लग्जरी का रूप ले चुके हैं। सभी सुविधाओं से लैस आधुनिक हाउसबोट किसी छोटे होटल के समान हैं। डबल बेड वाले कमरे, अटैच बाथ, वॉर्डरोब, टीवी, डाइनिंग हॉल, खुली डैक आदि सब पानी पर खडे हाउसबोट में होता है। लकडी के बने हाउसबोट देखने में भी बेहद सुंदर लगते हैं। अपने आकार एवं सुविधाओं के आधार पर ये विभिन्न दर्जे के होते हैं। शहर के मध्य बहती झेलम नदी पर बने पुराने लकडी के पुल भी पर्यटकों के लिए एक आकर्षण है। कई मस्जिदें और अन्य भवन इस नदी के निकट ही स्थित है।

बादशाहों का उद्यान प्रेम

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मुगल बादशाहों को वादी-ए-कश्मीर ने सबसे अधिक प्रभावित किया था। यहां के मुगल गार्डन इस बात के प्रमाण हैं। ये उद्यान इतने बेहतरीन और नियोजित ढंग से बने हैं कि मुगलों का उद्यान-प्रेम इनकी खूबसूरती के रूप में यहां आज भी झलकता है। मुगल उद्यानों को देखे बिना श्रीनगर की यात्रा अधूरी-सी लगती है। अलग-अलग खासियत लिए ये उद्यान किसी शाही प्रणय स्थल जैसे नजर आते हैं। शाहजहां द्वारा बनवाया गया चश्म-ए-शाही इनमें सबसे छोटा है। यहां एक चश्मे के आसपास हरा-भरा बगीचा है। इससे कुछ ही दूर दारा शिकोह द्वारा बनवाया गया परी महल भी दर्शनीय है। निशात बाग 1633 में नूरजहां के भाई द्वारा बनवाया गया था। ऊंचाई की ओर बढते इस उद्यान में 12 सोपान हैं। शालीमार बाग जहांगीर ने अपनी बेगम नूरजहां के लिए बनवाया था। इस बाग में कुछ कक्ष बने हैं। अंतिम कक्ष शाही परिवार की स्त्रियों के लिए था। इसके सामने दोनों ओर सुंदर झरने बने हैं। मुगल उद्यानों के पीछे की ओर जावरान पहाडियां हैं, तो सामने डल झील का विस्तार नजर आता है। इन उद्यानों में चिनार के पेडों के अलावा और भी छायादार वृक्ष हैं। रंग-बिरंगे फूलों की तो इनमें भरमार रहती है। इन उद्यानों के मध्य बनाए गए झरनों से बहता पानी भी सैलानियों को मुग्ध कर देता है। ये सभी बाग वास्तव में शाही आरामगाह के उत्कृष्ट नमूने हैं।

संस्कृति

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पूजा स्थल

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श्रीनगर में कई धार्मिक पवित्र स्थान हैं। वे हैं:

संगीत और फिल्में

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1990 के दशक में उग्रवाद के उदय से पहले, अकेले श्रीनगर में लगभग 10 सिनेमा हॉल थे - फिरदौस, शिराज, खय्याम, नाज़, नीलम, शाह, ब्रॉडवे, रीगल और पैलेडियम।[7]

आईनॉक्स सिनेमा सोनवर श्रीनगर

1989 के आतंक के कारण श्रीनगर में नौ सहित कश्मीर में सिनेमाघर बंद कर दिए गए थे।[8] आईनॉक्स गोल्ड क्लास, एक तीन-स्क्रीन मल्टीप्लेक्स श्रीनगर के प्रसिद्ध सिनेमा हॉल के निकट स्थित है जिसे ब्रॉडवे सिनेमा कहा जाता है। यह कश्मीर में पहला मल्टीप्लेक्स है और इसे श्रीनगर के बादामी बाग छावनी क्षेत्र में शिवपोरा में मेसर्स टकसाल हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी द्वारा बनाया गया है, जिसके मालिक विजय धर हैं। यहां यह उल्लेखनीय है कि श्री धर दिल्ली पब्लिक स्कूल, श्रीनगर भी चलाते हैं।[9][10] आइनॉक्स गोल्ड मल्टीप्लेक्स का उद्घाटन एलजी मनोज सिन्हा ने 20 सितंबर, 2022 को किया था, बाद में समारोह के बाद पत्रकारों और चयनित दर्शकों के लिए पहली फिल्म लाल सिंह चड्ढा दिखाई गई। सिनेमा को 30 सितंबर को आम जनता के लिए खोल दिया गया था, रिलीज हुई फिल्में विक्रम वेधा और पोन्नियिन सेल्वन: I थीं।

मुख्य आकर्षण

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हज़रतबल

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हजरतबल मस्जिद श्रीनगर में स्थित प्रसिद्ध डल झील के किनारे स्थित है। इसका निर्माण पैगम्बर मोहम्मद मोई-ए-मुक्कादस के सम्मान में करवाया गया था। इस मस्जिद को कई अन्य नामों जैसे हजरतबल, अस्सार-ए-शरीफ, मादिनात-ऊस-सेनी, दरगाह शरीफ और दरगाह आदि के नाम से भी जाना जाता है। इस मस्जिद के समीप ही एक खूबसूरत बगीचा और इश्‍रातत महल है। जिसका निर्माण 1623 ई. में सादिक खान ने करवाया था।

निगीन झील

शहर से लगभग 8 किलोमीटर की दुरी पर स्तिथ निगीन झील अपने नील पानी और आश्चर्यजनक खूबसूरती के लिए जाना जाता है जो डल झील का ही एक हिस्सा है। यह श्रीनगर Archived 2022-10-23 at the वेबैक मशीन में एक लोकप्रिय स्थल है और शांति से समय बिताने के लिए एकदम सही जगह है। यह झील चिनार के पेड़ों के घने जंगलों से घिरी हुई है और ज़बरवां पर्वत की तलहटी में स्थित है। रोमांच और मस्ती चाहने वालों के लिए यह आकर्षक झील, नौकायन और कई जल गतिविधियों के लिए एक आदर्श स्थान है। निगीन झील, डल झील की तुलना में कम भीड़ भाड़ वाली स्थान है और झील के नील साफ पानी इस स्थान को एक अद्भुत रूप देती है।

शंकराचार्य मंदिर

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यह मंदिर शंकराचार्य पर्वत पर स्थित है। शंकराचार्य मंदिर समुद्र तल से 1100 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। इसे तख्त-ए-सुलेमन के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर कश्मीर स्थित सबसे पुराने मंदिरों में से एक है। इस मंदिर का निर्माण राजा गोपादित्य ने 371 ई. पूर्व करवाया था। डोगरा शासक महाराजा गुलाब सिंह ने मंदिर तक पंहुचने के लिए सीढ़िया बनवाई थी। इसके अलावा मंदिर की वास्तुकला भी काफी खूबसूरत है।

जामा मस्जिद

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जामा मस्जिद कश्मीर की सबसे पुरानी और बड़ी मस्जिदों में से है। मस्जिद की वास्तुकला काफी अदभूत है। माना जाता है कि जामा मस्जिद की नींव सुल्लान सिकंदर ने 1398 ई. में रखी थी। इस मस्जिद की लंबाई 384 फीट और चौड़ाई 38 फीट है। इस मस्जिद में तीस हजार लोग एक-साथ नमाज अदा कर सकते हैं।

खीर भवानी मंदिर

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श्रीनगर जिले के तुल्लामुला में स्थित खीर भवानी मंदिर यहां के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। यह मंदिर माता रंगने देवी को समर्पित है। प्रत्येक वर्ष जेष्ठ अष्टमी (मई-जून) के अवसर पर मंदिर में वार्षिक उत्सव का आयोजन किया जाता है। इस अवसर पर काफी संख्या में लोग देवी के दर्शन के लिए विशेष रूप से आते हैं।

चट्टी पदशाही

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चेत्ती पदशाही कश्मीर के प्रमुख सिख गुरूद्वारों में से एक है। सिखों के छठें गुरू कश्मीर घूमने के लिए आए थे, उस समय वह यहां कुछ समय के लिए ठहरें थे। यह गुरूद्वारा हरी पर्वत किले से बस कुछ ही दूरी पर स्थित है।

निशात बाग

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इस बगीचे को 1633 ई. में नूरजहां के भाई आसिफ खान ने बनवाया था। यह बगीचा डल झील के किनारे स्थित है। श्रीनगर जिला मुख्यालय से निशांत गार्डन 11 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस जगह से झील के साथ-साथ अन्य कई खूबसूरत दृश्यों का नजारा देखा जा सकता है।

पांच मील लम्बी और ढाई मील चौड़ी डल झील श्रीनगर की ही नहीं बल्कि पूरे भारत की सबसे खूबसूरत झीलों में से है। दुनिया भर में यह झील विशेष रूप से शिकारों या हाऊस बोट के लिए जानी जाती है। डल झील के आस-पास की प्राकृतिक सुंदरता अधिक संख्या में लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है। डल झील चार भागों गगरीबल, लोकुट डल, बोड डल और नागिन में बंटी हुई है। इसके अलावा यहां स्थित दो द्वीप सोना लेंक और रूपा लेंक इस झील की खूबसूरती को ओर अधिक बढ़ाते हैं।

निकटवर्ती स्थल

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गुलमर्ग

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कश्मीर घाटी में श्रीनगर से दूर भी किसी दिशा में निकल जाएं तो प्रकृति के इतने रूप देखने को मिलते हैं कि लगता है जैसे उसने अपना खजाना यहीं समेट रखा है। राजमार्गो पर लगे दिशा-निर्देशों पर लिखे अनेक शहरों के नाम सैलानियों को आकर्षित करते हैं। लेकिन अधिकतर सैलानी, गुलमर्ग, सोनमर्ग और पहलगाम आदि घूमने जाते हैं। गुलमर्ग के रास्ते में कई छोटे सुंदर गांव और आसपास धान के खेत आंखों को सुहाते हैं। सीधी लंबी सडक के दोनों और ऊंची दीवार के समान दिखाई पडती पेडों की कतार अत्यंत भव्य दिखाई देती है। पुरानी फिल्मों में इन रास्तों के बीच फिल्माए गीत पर्यटकों को याद आ जाते हैं। तंग मार्ग के बाद ऊंचाई बढने के साथ ही घने पेडों का सिलसिला शुरू हो जाता है। कुछ देर बाद सैलानी गुलमर्ग पहुंचते हैं तो घास का विस्तृत तश्तरीनुमा मैदान देख कर मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। जिस प्रकार उत्तराखंड में पहाडी ढलवां मैदानों को बुग्याल कहते हैं, कश्मीर में उन्हें मर्ग कहते है। गुलमर्ग का अर्थ है फूलों का मैदान। समुद्र तल से 2680 मीटर की ऊंचाई पर स्थित गुलमर्ग सैलानियों के लिए वर्ष भर का रेसॉर्ट है। यहां से किराये पर घोडे लेकर खिलनमर्ग, सेवन स्प्रिंग और अलपत्थर जैसे स्थानों की सैर भी कर सकते हैं।

विश्व का सबसे ऊंचा गोल्फकोर्स भी यहीं है। सर्दियों में जब यहां बर्फ की मोटी चादर बिछी होती है तब यह स्थान हिमक्रीडा और स्कीइंग के शौकीन लोगों के लिए तो जैसे स्वर्ग बन जाता है। यहां चलने वाली गंडोला केबल कार द्वारा बर्फीली ऊंचाइयों तक पहुंचना रोमांचक लगता है। ढलानों पर लगे चीड या देवदार के पेडों पर बर्फलदी दिखती है। तमाम पर्यटक बर्फ पर स्कीइंग का आनंद लेते हैं तो बहुत से स्लेजिंग करके ही संतुष्ट हो लेते हैं। यहां पर्यटक चाहें तो स्कीइंग कोर्स भी कर सकते हैं। हर वर्ष होने वाले विंटर गेम्स के समय यहां विदेशी सैलानी भी बडी तादाद में आते हैं।

सोनमर्ग

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सोनमर्ग का अर्थ सोने से बना घास का मैदान होता है। यह जगह श्रीनगर के उत्तर-पूर्व से 87 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। सोनमर्ग पर स्थित सिंध घाटी कश्मीर की सबसे बड़ी घाटी है। यह घाटी करीबन साठ मील लम्बी है।

सोनमर्ग भी कश्मीर की एक निराली सैरगाह है। समुद्र तल से लगभग 3000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह एक रमणीक स्थल है। सिंध नदी के दोनों और फैले यहां के मर्ग सोने से सुंदर दिखाई देते हैं। इसीलिए इसे सोनमर्ग अर्थात सोने का मैदान कहा गया होगा। सोनमर्ग से घुडसवारी करके थाजिवास ग्लेशियर भी देखने जा सकते हैं। वहां ग्लेशियर पर घूमने का आनंद भी लिया जा सकता है। अनंत हिमनदों के सामने खडे होकर प्रकृति की विशालता का एहसास मन में रोमांच उत्पन्न कर देता है। प्रतिवर्ष होने वाली अमरनाथ यात्रा का एक मार्ग सोनमर्ग से बलतल होकर भी है। यहां से लद्दाख के रास्ते में पडने वाला जोजीला दर्रा 30 किमी दूर है। पहलगाम का रास्ता भी सैलानियों को बहुत प्रभावित करता है। मार्ग में पाम्पोर में केसर के खेत दिखाई देते हैं। जगह-जगह क्रिकेट के बैट रखे नजर आते हैं। यहां विलो-ट्री की लकडी से ये बैट बनते हैं। इनके अलावा अवंतिपुर में 9वीं शताब्दी में बने दो मंदिरों के भग्नावशेष तथा मार्तड का सूर्य मंदिर भी आकर्षक हैं। सागरतल से 2130 मीटर की ऊंचाई पर बसा पहलगाम कभी चरवाहों का छोटा सा गांव था। किंतु यहां बिखरी नैसर्गिक छटा ने इसे खुशनुमा सैरगाह बना दिया। लिद्दर नदी इसकी छटा को और बढाती है। नदी पर कई जगह बने लकडी के पुल और दूर दिखते हिमशिखर तो पिक्चर पोस्टकार्ड से दृश्य प्रस्तुत करते हैं। देवदार के जंगल, झरने और फूलों के मैदान तो जगह-जगह नजर आएंगे। बैसरन के मर्ग, आडु, चंदनवाडी जैसे स्थान घोडों पर बैठकर घूमे जा सकते हैं। साहसी पर्यटक पहलगाम से तरसर, मरसर झीलें, दुधसर झील और कोलहाई ग्लेशियर जैसे ट्रेकिंग रूटों पर निकल सकते हैं। अमरनाथ यात्रा का मुख्य मार्ग पहलगाम से चंदनवाडी, शेषनाग होते हुए जाता है।

कोकरनाग वेरीनाग

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सैलानियों को आकर्षित करने वाले अन्य स्थानों में कोकरनाग 2012 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह स्थान औषधीय गुणों वाले प्राकृतिक चश्मों के लिए प्रसिद्ध है। कश्मीरी भाषा में नाग का अर्थ चश्मा भी होता है। वेरीनाग में भी कुछ प्राकृतिक चश्में हैं। यहां बादशाह जहांगीर ने चश्मों का जल एक ताल में एकत्र कर उसके आसपास एक उद्यान बनवाया था। 80 मीटर के दायरे में फैले आठ कोणों वाले इस ताल एवं उद्यान में चिनार के वृक्षों की कतारें सैलानियों का मन मोह लेती है।

वायु मार्ग

सबसे नजदीकी हवाई अड्डा श्रीनगर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है। इंडियन एयरलाइन्स दिल्ली, अमृतसर, जम्मू, लेह, चंडीगढ़, अहमदाबाद और मुम्बई से श्रीनगर के लिए उड़ान भरती है।

रेल मार्ग

हाल ही में श्रीनगर में रेलवे स्टेशन बन गया है, व रेल सेवा भी आरंभ हो चुकी है। श्रीनगर रेल मार्ग द्वारा अनंतनाग, क़ाज़ीगुंड तक जुड़ा है। जून २०१३ में क़ाज़ीगुंड से बनिहाल तक, भारत की सबसे बड़ी सुरंग के रास्ते, रेल सेवा शुरु कर दी गयी है। इसके बाद भारत की मुख्य रेलवे का सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन जम्मू तवी है। रेलवे स्टेशन से जम्मू तवी 293 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। बनिहाल से जम्मू तवी तक रेलमार्ग निर्माणाधीन है।

सड़क मार्ग

श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग 44 (पुराना संख्यांक 1ए) द्वारा कई प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है। राष्ट्रीय राजमार्ग 44 पूरे भारत को पार करता हुआ कन्याकुमारी तक जाता है।

विभिन्न शहरों से दूरी

जम्मू- 293 किलोमीटर
लेह - 434 किलोमीटर
कारगिल- 204 किलोमीटर
गुलमर्ग- 52 किलोमीटर
दिल्ली- 876 किलोमीटर
चंडीगढ़- 630 किलोमीटर

इन्हें भी देखें

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सन्दर्भ

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  1. PTI (25 November 2020). "Junaid Azim Mattu Returns As Srinagar Mayor, 6 Months After He Was Removed". NDTV.com. अभिगमन तिथि 30 December 2020.
  2. "Jammu, Kashmir, Ladakh: Ringside Views," Onkar Kachru and Shyam Kaul, Atlantic Publishers, 1998, ISBN 9788185495514
  3. "District Census Handbook, Jammu & Kashmir Archived 2016-05-12 at the वेबैक मशीन," M. H. Kamili, Superintendent of Census Operations, Jammu and Kashmir, Government of India
  4. "Restoration of Panchayats in Jammu and Kashmir," Joya Roy (Editor), Institute of Social Sciences, New Delhi, India, 1999
  5. "Land Reforms in India: Computerisation of Land Records," Wajahat Habibullah and Manoj Ahuja (Editors), SAGE Publications, India, 2005, ISBN 9788132103493
  6. शर्मा के के. प्राचीन भारत का इतिहास. पृ॰ 93.
  7. "Kashmir's first multiplex likely to open with Lal Singh Chadda or Vikram Vedha by Sept end".
  8. "Forgotten, Forbidden Cinema Culture Of Kashmir". Jammu-Kashmir.Com Homepage. 29 April 2012. मूल से 22 मई 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 11 August 2015.
  9. "Kashmir to get first multiplex cinema theatre, soon". Zee News (अंग्रेज़ी में). 2020-06-24. अभिगमन तिथि 2020-07-01.
  10. "Srinagar likely to get its first multiplex cinema theatre". The New Indian Express. अभिगमन तिथि 2020-07-01.