सामग्री पर जाएँ

संस्कृत भाषा

Checked
मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
संस्कृत
संस्कृतम्
(ऊपर) श्रीमद्भग्वद्गीता की १९वीं शताब्दी की एक पाण्डुलिपि[1] अनुमान है कि गीता की रचना ४०० ईसापूर्व से लेकर २०० ईसापूर्व में हुई थी।[2][3] (नीचे) कलकता के संस्कृत कॉलेज के १७५वीं जयन्ती के अवसर पर भारत सरकार द्वारी जारी डाकटिकट। यह कॉलेज तीसरा सबसे पुराना कॉलेज है। १७९१ में स्थापित काशी संस्कृत कालेज सबसे पुराना महाविद्यालय है।
बोली जाती है भारत, नेपाल
कुल बोलने वाले १००४,१३५ (जनगणना के अनुसार।)[4]
भाषा परिवार हिन्द-यूरोपीय
  • संस्कृत
लेखन प्रणाली देवनागरी (वस्तुतः), अन्य ब्राह्मी–लिपि
आधिकारिक स्तर
आधिकारिक भाषा घोषित भारतीय संविधान में अनुसूचित 22 भाषाओं में से एक।
नियामक कोई आधिकारिक नियमन नहीं
भाषा कूट
ISO 639-1 sa
ISO 639-2 san
ISO 639-3 san

संस्कृत (संस्कृत में : संस्कृतम्, संस्कृत उच्चारण : [ˈsɐ̃skr̩tɐm]) भारतीय उपमहाद्वीप की एक भाषा है। संस्कृत एक हिंद-आर्य भाषा है जो हिंद-यूरोपीय भाषा परिवार की एक शाखा है।[5] आधुनिक भारतीय भाषाएँ जैसे, हिंदी, बांग्ला, मराठी, सिन्धी, पंजाबी, नेपाली, आदि इसी से उत्पन्न हुई हैं। इन सभी भाषाओं में यूरोपीय बंजारों की रोमानी भाषा भी शामिल है। संस्कृत में वैदिक धर्म से संबंधित लगभग सभी धर्मग्रंथ लिखे गए हैं। बौद्ध धर्म (विशेषकर महायान) तथा जैन मत के भी कई महत्त्वपूर्ण ग्रंथ संस्कृत में लिखे गए हैं। आज भी हिंदू धर्म के अधिकतर यज्ञ और पूजा संस्कृत में ही होती हैं।

संस्कृत का अर्थ है "संस्कार की गयी " अर्थात "बदलाव की गयी", संस्कृत भाषा देवनागरी लिपि मे लिखी गयी है, धम्म लिपि मे समय के साथ थोड़ा- थोड़ा सुधार (बदलाव) होता रहा उदाहरण के लिए मौर्य का व गुप्त काल के शिलालेखों व अभिलेखों में शब्दो मे थोड़ा फर्क दिखायी पड़ता है। अनेक शताब्दियों तक यह चलता गया तथा पाली प्राकृत भाषा ( धम्म लिपि मे ) से अनेक लिपियों का उदय हुआ जैसे दक्षिण मे तमिल, तेलुगु व उत्तर मे बांगला, नागरी शारदा । 9 वीं शताब्दी में देवनागरी लिपि का प्रचलन शुरू हुआ व 11 शताब्दी तक आते आते देवनागरी लिपि पूर्ण से विकसित हो गयी , अगर बात करे संस्कृत भाषा की चूंकि संस्कृत की लिपि देवनागरी है अत: यह भी 9 वीं शताब्दी के मध्य आयी है, इससे पहले संस्कृत भाषा का कोई पुरातात्विक प्रमाण नही मिला व ना ही कही इसका जिक्र है। अत: इससे सिद्ध होता है की भारत (जिसका प्राचीन नाम जम्बूद्वीप है) की सबसे पुरानी भाषा प्राकृत पाली है व सबसे प्राचीन लिपि धम्म लिपि (आजकल ब्राह्मी लिपि) है। अगर देखा जाए सबसे प्राचीन भाषा व लिपि सिंधु घाटी सभ्यता की भाषा जो अब तक नही पढ़ी गयी है । [6]

संस्कृत आमतौर पर कई पुरानी इंडो-आर्यन किस्मों को जोड़ती है। इनमें से सबसे पुरातन ऋग्वेद में पाया जाने वाला वैदिक संस्कृत है, जो 9 वीं शताब्दी के बाद रचित 1,028 भजनों का एक संग्रह है, जो इंडो-आर्यन जनजातियों द्वारा आज के उत्तरी अफगानिस्तान और उत्तरी भारत में अफगानिस्तान से पूर्व की ओर पलायन करते हैं। वैदिक संस्कृत ने उपमहाद्वीप की प्राचीन प्राचीन भाषाओं के साथ बातचीत की, नए पौधों और जानवरों के नामों को अवशोषित किया।

भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में संस्कृत को भी सम्मिलित किया गया है। यह उत्तराखण्ड और हिमाचल प्रदेश की आधिकारिक राजभाषा है। आकाशवाणी और दूरदर्शन से संस्कृत में समाचार प्रसारित किए जाते हैं। कतिपय वर्षों से डी. डी. न्यूज (DD News) द्वारा वार्तावली नामक अर्धहोरावधि का संस्कृत-कार्यक्रम भी प्रसारित किया जा रहा है, जो हिन्दी चलचित्र गीतों के संस्कृतानुवाद, सरल-संस्कृत-शिक्षण, संस्कृत-वार्ता और महापुरुषों की संस्कृत जीवनवृत्तियों, सुभाषित-रत्नों आदि के कारण अनुदिन लोकप्रियता को प्राप्त हो रहा है।

संस्कृत भाषा का वैश्विक विस्तृति : ३०० ईसापूर्व से लेकर १८०० ई तक की कालावधि में रचित संस्कृत ग्रन्थ एवं संस्कृत अभिलेखों की प्राप्ति के क्षेत्र

संस्कृत का इतिहास बहुत पुराना है। वर्तमान समय में प्राप्त सबसे प्राचीन संस्कृत ग्रन्थ ॠग्वेद है जो कम से कम ढाई हजार ईसापूर्व की रचना है।

व्याकरण

[संपादित करें]

संस्कृत भाषा का व्याकरण अत्यन्त परिमार्जित एवं वैज्ञानिक है। बहुत प्राचीन काल से ही अनेक व्याकरणाचार्यों ने संस्कृत व्याकरण पर बहुत कुछ लिखा है। किन्तु पाणिनि का संस्कृत व्याकरण पर किया गया कार्य सबसे प्रसिद्ध है। उनका अष्टाध्यायी किसी भी भाषा के व्याकरण का सबसे प्राचीन ग्रन्थ है।

संस्कृत में संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और क्रिया के कई तरह से शब्द-रूप बनाये जाते हैं, जो व्याकरणिक अर्थ प्रदान करते हैं। अधिकांश शब्द-रूप मूलशब्द के अन्त में प्रत्यय लगाकर बनाये जाते हैं। इस तरह ये कहा जा सकता है कि संस्कृत एक बहिर्मुखी-अन्त-श्लिष्टयोगात्मक भाषा है। संस्कृत के व्याकरण को वागीश शास्त्री ने वैज्ञानिक स्वरूप प्रदान किया है।

ध्वनि-तन्त्र और लिपि

[संपादित करें]

संस्कृत भारत की कई लिपियों में लिखी जाती रही है, लेकिन आधुनिक युग में देवनागरी लिपि के साथ इसका विशेष संबंध है। देवनागरी लिपि वास्तव में संस्कृत के लिए ही बनी है, इसलिए इसमें हर एक चिह्न के लिए एक और केवल एक ही ध्वनि है। देवनागरी में १३ स्वर और ३३ व्यंजन हैं। देवनागरी से रोमन लिपि में लिप्यन्तरण के लिए दो पद्धतियाँ अधिक प्रचलित हैं : IAST और ITRANS. शून्य, एक या अधिक व्यंजनों और एक स्वर के मेल से एक अक्षर बनता है।


संस्कृत, क्षेत्रीय लिपियों में लिखी जाती रही है।

ये स्वर संस्कृत के लिए दिए गए हैं। हिन्दी में इनके उच्चारण थोड़े भिन्न होते हैं।

वर्णाक्षर “प” के साथ मात्रा IPA उच्चारण "प्" के साथ उच्चारण IAST समतुल्य अंग्रेज़ी समतुल्य हिन्दी में वर्णन
/ ə / / / a लघु या दीर्घ Schwa: जैसे a, above या ago में मध्य प्रसृत स्वर
पा / α: / / pα: / ā दीर्घ Open back unrounded vowel: जैसे a, father में दीर्घ विवृत पश्व प्रसृत स्वर
पि / i / / pi / i लघु close front unrounded vowel: जैसे i, bit में ह्रस्व संवृत अग्र प्रसृत स्वर
पी / i: / / pi: / ī दीर्घ close front unrounded vowel: जैसे i, machine में दीर्घ संवृत अग्र प्रसृत स्वर
पु / u / / pu / u लघु close back rounded vowel: जैसे u, put में ह्रस्व संवृत पश्व वर्तुल स्वर
पू / u: / / pu: / ū दीर्घ close back rounded vowel: जैसे oo, school में दीर्घ संवृत पश्व वर्तुल स्वर
पे / e: / / pe: / e दीर्घ close-mid front unrounded vowel: जैसे a in game (संयुक्त स्वर नहीं) में दीर्घ अर्धसंवृत अग्र प्रसृत स्वर
पै / ai / / pai / ai दीर्घ diphthong: जैसे ei, height में दीर्घ द्विमात्रिक स्वर
पो / ο: / / pο: / o दीर्घ close-mid back rounded vowel: जैसे o, tone (संयुक्त स्वर नहीं) में दीर्घ अर्धसंवृत पश्व वर्तुल स्वर
पौ / au / / pau / au दीर्घ diphthong: जैसे ou, house में दीर्घ द्विमात्रिक स्वर

संस्कृत में दो स्वरों का युग्म होता है और "अ-इ" या "आ-इ" की तरह बोला जाता है। इसी तरह "अ-उ" या "आ-उ" की तरह बोला जाता है।

इसके अलावा निम्नलिखित वर्ण भी स्वर माने जाते हैं :

  • -- वर्तमान में, स्थानीय भाषाओं के प्रभाव से इसका अशुद्ध उच्चारण किया जाता है। आधुनिक हिन्दी में "रि" की तरह तथा मराठी में "रु" की तरह किया जाता है ।
  • -- केवल संस्कृत में (दीर्घ ऋ)
  • -- केवल संस्कृत में (syllabic retroflex l)
  • अं -- न् , म् , ङ् , ञ् , ण् और ं के लिए या स्वर का नासिकीकरण करने के लिए
  • अँ -- स्वर का नासिकीकरण करने के लिए (संस्कृत में नहीं उपयुक्त होता)
  • अः -- अघोष "ह्" (निःश्वास) के लिए

जब कोई स्वर प्रयोग नहीं हो, तो वहाँ पर 'अ' माना जाता है। स्वर के न होने को हलन्त्‌ अथवा विराम से दर्शाया जाता है। जैसे कि क्‌ ख्‌ ग्‌ घ्‌।

स्पर्श
अघोष घोष नासिक्य
अल्पप्राण महाप्राण अल्पप्राण महाप्राण
कण्ठ्य / /
k; अंग्रेजी: skip
/ khə /
kh; अंग्रेजी: cat
/ /
g; अंग्रेजी: game
/ gɦə /
gh; महाप्राण /g/
/ ŋə /
n; अंग्रेजी: ring
तालव्य / / or / tʃə /
ch; अंग्रेजी: chat
/ chə / or /tʃhə/
chh; महाप्राण /c/
/ ɟə / or / dʒə /
j; अंग्रेजी: jam
/ ɟɦə / or / ɦə /
jh; महाप्राण /ɟ/
/ ɲə /
n; अंग्रेजी: finch
मूर्धन्य / ʈə /
t; अमेरिकी अंग्रेजी:: hurting
/ ʈhə /
th; महाप्राण /ʈ/
/ ɖə /
d; अमेरिकी अंग्रेजी:: murder
/ ɖɦə /
dh; महाप्राण /ɖ/
/ ɳə /
n; अमेरिकी अंग्रेज़ी:: hunter
दन्त्य / t̪ə /
t; स्पैनिश: tomate
/ hə /
th; महाप्राण /t̪/
/ d̪ə /
d; स्पैनिश: donde
/ ɦə /
dh; महाप्राण /d̪/
/ /
n; अंग्रेज़ी: name
ओष्ठ्य / /
p; अंग्रेज़ी: spin
/ phə /
ph; अंग्रेज़ी: pit
/ /
b; अंग्रेज़ी: bone
/ bɦə /
bh; महाप्राण /b/
/ /
m; अंग्रेज़ी: mine
स्पर्शरहित
तालव्य मूर्धन्य दन्त्य/
वर्त्स्य
कण्ठोष्ठ्य/
काकल्य
अन्तस्थ / /
y; अंग्रेज़ी: you
/ /
r; स्कॉटिश अंग्रेज़ी: trip
/ /
l; अंग्रेजी: love
/ ʋə /
v; अंग्रेजी: vase
ऊष्म/
संघर्षी
/ ʃə /
sh; अंग्रेज़ी: ship
/ ʂə /
shh; मूर्धन्य /ʃ/
/ /
s; अंग्रेज़ी: same
/ ɦə / or / /
h; अंग्रेज़ी: behind
टिप्पणी
  • इनमें से (मूर्धन्य पार्विक अन्तस्थ) एक अतिरिक्त व्यंजन है जिसका प्रयोग हिन्दी में नहीं होता है। मराठी और वैदिक संस्कृत में इसका प्रयोग किया जाता है।
  • संस्कृत में का उच्चारण ऐसे होता था : जीभ की नोंक को मूर्धा (मुँह की छत) की ओर उठाकर जैसी ध्वनि करना। शुक्ल यजुर्वेद की माध्यंदिनि शाखा में कुछ वाक्यों में का उच्चारण की तरह करना मान्य था।

संस्कृत भाषा की विशेषताएँ

[संपादित करें]
  • (१) संस्कृत, विश्व की सबसे पुरानी पुस्तक (वेद) की भाषा है। इसलिए इसे विश्व की प्रथम भाषा मानने में कहीं किसी संशय की संभावना नहीं है।[7][8]
  • (२) इसकी सुस्पष्ट व्याकरण और वर्णमाला की वैज्ञानिकता के कारण सर्वश्रेष्ठता भी स्वयं सिद्ध है।
  • (३) सर्वाधिक महत्वपूर्ण साहित्य की धनी होने से इसकी महत्ता भी निर्विवाद है।
  • (४) इसे देवभाषा माना जाता है।
  • (५) संस्कृत केवल स्वविकसित भाषा नहीं बल्कि संस्कारित भाषा भी है, अतः इसका नाम संस्कृत है। केवल संस्कृत ही एकमात्र भाषा है जिसका नामकरण उसके बोलने वालों के नाम पर नहीं किया गया है।
  • संस्कृत > सम् + सुट् + 'कृ करणे' + क्त, ('सम्पर्युपेभ्यः करोतौ भूषणे' इस सूत्र से 'भूषण' अर्थ में 'सुट्' या सकार का आगम/ 'भूते' इस सूत्र से भूतकाल(past) को द्योतित करने के लिए संज्ञा अर्थ में क्त-प्रत्यय /कृ-धातु 'करणे' या 'Doing' अर्थ में) अर्थात् विभूूूूषित, समलंकृत(well-decorated) या संस्कारयुक्त (well-cutured)।
  • संस्कृत को संस्कारित करने वाले भी कोई साधारण भाषाविद् नहीं बल्कि महर्षि पाणिनि, महर्षि कात्यायन और योगशास्त्र के प्रणेता महर्षि पतंजलि हैं। इन तीनों महर्षियों ने बड़ी ही कुशलता से योग की क्रियाओं को भाषा में समाविष्ट किया है। यही इस भाषा का रहस्य है।
  • (६) शब्द-रूप - विश्व की सभी भाषाओं में एक शब्द का एक या कुछ ही रूप होते हैं, जबकि संस्कृत में प्रत्येक शब्द के 27 रूप होते हैं।
  • (७) द्विवचन - सभी भाषाओं में एकवचन और बहुवचन होते हैं जबकि संस्कृत में द्विवचन अतिरिक्त होता है।
  • (८) सन्धि - संस्कृत भाषा की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता है सन्धि। संस्कृत में जब दो अक्षर निकट आते हैं तो वहाँ सन्धि होने से स्वरूप और उच्चारण बदल जा है ।
  • (९) इसे कम्प्यूटर और कृत्रिम बुद्धि के लिए सबसे उपयुक्त भाषा माना जाता है।
  • (१०) शोध से ऐसा पाया गया है कि संस्कृत पढ़ने से स्मरण शक्ति बढ़ती है।[9]
  • (११) संस्कृत वाक्यों में शब्दों को किसी भी क्रम में रखा जा सकता है। इससे अर्थ का अनर्थ होने की बहुत कम या कोई भी सम्भावना नहीं होती। ऐसा इसलिये होता है क्योंकि सभी शब्द विभक्ति और वचन के अनुसार होते हैं और क्रम बदलने पर भी सही अर्थ सुरक्षित रहता है। जैसे - अहं गृहं गच्छामि या गच्छामि गृहं अहम् दोनो ही ठीक हैं।
  • (१२) संस्कृत विश्व की सर्वाधिक 'पूर्ण' (perfect) एवं तर्कसम्मत भाषा है।[10]
  • (१३) संस्कृत ही एक मात्र साधन हैं जो क्रमश: अंगुलियों एवं जीभ को लचीला बनाते हैं। इसके अध्ययन करने वाले छात्रों को गणित, विज्ञान एवं अन्य भाषाएँ ग्रहण करने में सहायता मिलती है।
  • (१४) संस्कृत भाषा में साहित्य की रचना कम से कम छह हजार वर्षों से निरन्तर होती आ रही है। इसके कई लाख ग्रन्थों के पठन-पाठन और चिन्तन में भारतवर्ष के हजारों पुश्त तक के करोड़ों सर्वोत्तम मस्तिष्क दिन-रात लगे रहे हैं और आज भी लगे हुए हैं। पता नहीं कि संसार के किसी देश में इतने काल तक, इतनी दूरी तक व्याप्त, इतने उत्तम मस्तिष्क में विचरण करने वाली कोई भाषा है या नहीं। शायद नहीं है। दीर्घ कालखण्ड के बाद भी असंख्य प्राकृतिक तथा मानवीय आपदाओं (वैदेशिक आक्रमणों) को झेलते हुए आज भी ३ करोड़ से अधिक संस्कृत पाण्डुलिपियाँ विद्यमान हैं। यह संख्या ग्रीक और लैटिन की पाण्डुलिपियों की सम्मिलित संख्या से भी १०० गुना अधिक है। निःसंदेह ही यह सम्पदा छापाखाने के आविष्कार के पहले किसी भी संस्कृति द्वारा सृजित सबसे बड़ी सांस्कृतिक विरासत है।[11]
  • (१५) संस्कृत केवल एक मात्र भाषा नहीं है अपितु संस्कृत एक विचार है। संस्कृत एक संस्कृति है एक संस्कार है संस्कृत में विश्व का कल्याण है, शांति है, सहयोग है, वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना है।

संस्कृत गिनती

[संपादित करें]
1. एकम् 2. द्वे 3. त्रीणि 4. चत्वारि 5. पञ्च 6. षट् 7. सप्त
8. अष्ट 9. नव 10. दश 11. एकादश 12. द्वादश 13. त्रयोदश 14. चतुर्दश
15. पंचदश 16. षोडश 17. सप्तदश 18. अष्टादश 19. एकोनविंशतिः 20. विंशतिः

भारत और विश्व के लिए संस्कृत का महत्त्व

[संपादित करें]
  • संस्कृत कई भारतीय भाषाओं की जननी है। इनकी अधिकांश शब्दावली या तो संस्कृत से ली गई है या संस्कृत से प्रभावित है। पूरे भारत में संस्कृत के अध्ययन-अध्यापन से भारतीय भाषाओं में अधिकाधिक एकरूपता आएगी जिससे भारतीय एकता बलवती होगी। यदि इच्छा-शक्ति हो तो संस्कृत को हिब्रू की भाँति पुनः प्रचलित भाषा भी बनाया जा सकता है।
  • हिन्दू, बौद्ध, जैन आदि धर्मों के प्राचीन धार्मिक ग्रन्थ संस्कृत में हैं।
  • हिन्दुओं के सभी पूजा-पाठ और धार्मिक संस्कार की भाषा संस्कृत ही है।
  • हिन्दुओं, बौद्धों और जैनों के नाम भी संस्कृत पर आधारित होते हैं।
  • भारतीय भाषाओं की तकनीकी शब्दावली भी संस्कृत से ही व्युत्पन्न की जाती है। भारतीय संविधान की धारा 343, धारा 348 (2) तथा 351 का सारांश यह है कि देवनागरी लिपि में लिखी और मूलत: संस्कृत से अपनी पारिभाषिक शब्दावली को लेने वाली हिन्दी राजभाषा है।
  • संस्कृत, भारत को एकता के सूत्र में बाँधती है।
  • संस्कृत का साहित्य अत्यन्त प्राचीन, विशाल और विविधतापूर्ण है। इसमें अध्यात्म, दर्शन, ज्ञान-विज्ञान और साहित्य का खजाना है। इसके अध्ययन से ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में प्रगति को बढ़ावा मिलेगा।
  • संस्कृत को कम्प्यूटर के लिए (कृत्रिम बुद्धि के लिए) सबसे उपयुक्त भाषा माना जाता है।[12]

संस्कृत का अन्य भाषाओं पर प्रभाव

[संपादित करें]

संस्कृत भाषा के शब्द मूलत रूप से सभी आधुनिक भारतीय भाषाओं में हैं। सभी भारतीय भाषाओं में एकता की रक्षा संस्कृत के माध्यम से ही हो सकती है। मलयालम, कन्नड और तेलुगु आदि दक्षिणात्य भाषाएं संस्कृत से बहुत प्रभावित हैं। यहाँ तक कि तमिल में भी संस्कृत के हजारों शब्द भरे पड़े हैं और मध्यकाल में संस्कृत का तमिल पर गहरा प्रभव पड़ा।[13]

विश्व की अनेकानेक भाषाओं पर संस्कृत ने गहरा प्रभाव डाला है।[14] संस्कृत भारोपीय भाषा परिवर में आती है और इस परिवार की भाषाओं से भी संस्कृत में बहुत सी समानता है। वैदिक संस्कृत और अवेस्ता (प्राचीन इरानी) में बहुत समानता है। भारत के पड़ोसी देशों की भाषाएँ सिंहल, नेपाली, म्यांमार भाषा, थाई भाषा, ख्मेर[15] संस्कृत से प्रभावित हैं। बौद्ध धर्म का चीन ज्यों-ज्यों प्रसार हुआ वैसे वैसे पहली शताब्दी से दसवीं शताब्दी तक सैकड़ों संस्कृत ग्रन्थों का चीनी भाषा में अनुवाद हुआ। इससे संस्कृत के हजरों शब्द चीनी भाषा में गए।[16] उत्तरी-पश्चिमी तिब्बत में तो अज से १००० वर्ष पहले तक संस्कृत की संस्कृति थी और वहाँ गान्धारी भाषा का प्रचलन था। [17]

तत्सम-तद्भव-समान-शब्द
संस्कृत शब्द हिन्दी मलयालम कन्नड तेलुगु ग्रीक लैटिन अंग्रेजी जर्मन फ़ारसी 
मातृ माता अम्मा मातेर मदर् मुटेर मादर 
पितृ/पितर पिता अच्चन् पातेर फ़ाथर् फ़ाटेर
दुहितृ बेटी दाह्तर्
भ्रातृ/भ्रातर भाई ब्रदर् ब्रुडेर
पत्तनम् पत्तन पट्टणम् टाउन
वैधुर्यम् विधुर वैडूर्यम् वैडूर्यम् विजोवर्
सप्तन् सात सेप्तम् सेव्हेन् ज़ीबेन
अष्टौ आठ होक्तो ओक्तो ऐय्‌ट् आख़्ट
नवन् नौ हेणेअ नोवेम् नायन् नोएन
द्वारम् द्वार दोर् टोर
नालिकेरः नारियल नाळिकेरम् कोकोस्नुस्स
सम समान  same
तात=पिता  Dad
अहम्  I am
स्मार्त Smart
पंडित  पंडित/विशेषज्ञ  Pundit
संस्कृत का प्राकृत भाषाओं से तथा भारोपीय भाषाओं से सम्बन्ध

संस्कृत साहित्य

[संपादित करें]

देश, काल और विविधता की दृष्टि से संस्कृत साहित्य अत्यन्त विशाल है। इसे मुख्यतः दो भागों में विभाजित किया जाता है- वैदिक साहित्य तथा शास्त्रीय साहित्य । आज से तीन-चार हजार वर्ष पहले रचित वैदिक साहित्य उपलब्ध होता है।

संस्कृत ग्रन्थ

[संपादित करें]
परम्परानुसार संस्कृत साहित्य
परम्परा संस्कृत ग्रन्थ, विधा श्रेणी उदाहरण सन्दर्भ
हिन्दू धर्मग्रन्थ वेद, उपनिषद, आगम, भागवद्गीता [18][19]
भाषा, व्याकरण अष्टाध्यायी, गणपाठ, पदपाठ, वार्त्तिक, महाभाष्य, वाक्यपदीय, फिट-सूत्र [20][21][22]
सामान्य नियम एवं धार्मिक नियम धर्मसूत्र/धर्मशास्त्र,[a] मनुस्मृति [23][24]
राजनीति, राजशास्त्र अर्थशास्त्र [25]
कालगणना, गणित, तर्क कल्प, ज्योतिष, गणितशास्त्र, शुल्बसूत्र, सिद्धान्त, आर्यभटीय, दशगीतिकासूत्र, सिद्धान्तशिरोमणि, गणितसारसङ्ग्रह, बीजगणितम् [b] [26][27]
आयुर्विज्ञान, आयुर्वेद, स्वास्थ्य आयुर्वेद, सुश्रुतसंहिता, चरकसंहिता [28][29]
कामशास्त्र कामसूत्र, पञ्चसायक, रतिरहस्य, रतिमञ्जरी, अनङ्गरङ्ग, समयमातृका [30][31]
महाकाव्य रामायण, महाभारत [32][33]
राजवंशीय काव्य रघुवंश, कुमारसम्भव [34]
सुभाषित एवं शिक्षाप्रद साहित्य सुभाषित, नीतिशतक, बोधिचर्यावतार, शृंगार-ज्ञान-निर्णय, कलाविलास, चतुर्वर्गसङ्ग्रह, नीतिमञ्जरी, मुग्धोपदेश, सुभाषितरत्नसन्दोह, योगशास्त्र, शृंगार-वैराग्य-तरङ्गिणी [35]
नाटक, नृत्य तथा अन्य कलाएँ नाट्यशास्त्र [36][37][38]
संगीत संगीतशास्त्र, संगीतरत्नाकर, संगीत पारिजात [39][40]
काव्यशास्त्र काव्यशास्त्र [41]
मिथक पुराण [42]
रहस्यमय अटकलें, दर्शन दर्शन, सांख्य, योग, न्याय, वैशेशिक, मीमांसा, वेदान्त वैष्णव, शैव, शाक्त, स्मार्त, आदि [43]
कृषि एवं भोजन कृषिशास्त्र, वृक्षायुर्वेद [44]
डिजाइन, शिल्प, वास्तुशास्त्र शिल्पशास्त्र, समराङ्गणसूत्रधार [45][46]
मन्दिर, मूर्तिकला बृहत्संहिता, [47]
संस्कार गृह्यसूत्र [48]
बौद्ध धर्म धर्मग्रन्थ, मठ-सम्बन्धी नियम त्रिपिटक,[c] महायान सम्प्रदाय के ग्रन्थ, अन्य [49][50][51]
जैन धर्म धर्मशास्त्र, दर्शन तत्त्वार्थ सूत्र, महापुराण एवं अन्य [52][53]

इनके अतिरिक्त रसविद्या, तंत्र साहित्य, वैमानिक शास्त्र तथा अन्यान्य विषयों पर संस्कृत में ग्रन्थ रचे गये जिनमें से कुछ आज भी उपलब्ध हैं।

शिक्षा एवं प्रचार-प्रसार

[संपादित करें]
"संस्कृतम्" शब्द विभिन्न लिपियों में लिखा हुआ।
"संस्कृतम्" शब्द विभिन्न लिपियों में लिखा हुआ।

भारत के संविधान में संस्कृत आठवीं अनुसूची में सम्मिलित अन्य भाषाओं के साथ विराजमान है। त्रिभाषा सूत्र के अन्तर्गत संस्कृत भी आती है। हिन्दी एवं अन्य भारतीय भाषाओं की की वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली संस्कृत से निर्मित है।

भारत तथा अन्य देशों के कुछ संस्कृत विश्वविद्यालयों की सूची नीचे दी गयी है- (देखें, भारत स्थित संस्कृत विश्वविद्यालयों की सूची)

स्थापना वर्ष नाम स्थान
1791 सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी
1876 सद्विद्या पाठशाला मैसूर
1961 कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय दरभंगा
1962 राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ, तिरुपति तिरुपति
1962 श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ नयी दिल्ली
1970 राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान, नई दिल्ली नयी दिल्ली
1981 श्री जगन्नाथ संस्कृत विश्वविद्यालय पुरी
1986 नेपाल संस्कृत विश्वविद्यालय नेपाल
1993 श्री शंकराचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय कालडी
1997 कविकुलगुरु कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय रामटेक
2001 जगद्गुरु रामानन्दाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय जयपुर
2005 श्री सोमनाथ संस्कृत विश्वविद्यालय वेरावल
2008 महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय उज्जैन
2011 कर्नाटक संस्कृत विश्वविद्यालय बंगलुरु

सन्दर्भ

[संपादित करें]
  1. Mascaró, Juan (2003). The Bhagavad Gita. Penguin. पपृ॰ 13&nbsp, ff. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-14-044918-1. The Bhagawad Gita, an intensely spiritual work, that forms one of the cornerstones of the Hindu faith, and is also one of the masterpieces of Sanskrit poetry. (from the backcover)
  2. Besant, Annie (trans) (1922). The Bhagavad-gita; or, The Lord's Song, with text in Devanagari, and English translation. Madras: G. E. Natesan & Co. प्रवृत्ते शस्त्रसम्पाते धनुरुद्यम्य पाण्डवः ॥ २० ॥
    Then, beholding the sons of Dhritarâshtra standing arrayed, and flight of missiles about to begin, ... the son of Pându, took up his bow,(20)
    हृषीकेशं तदा वाक्यमिदमाह महीपते । अर्जुन उवाच । ...॥ २१ ॥
    And spake this word to Hrishîkesha, O Lord of Earth: Arjuna said: ...
  3. Radhakrishnan, S. (1948). The Bhagavadgītā: With an introductory essay, Sanskrit text, English translation, and notes. London, UK: George Allen and Unwin Ltd. पृ॰ 86. ... pravyite Sastrasampate
    dhanur udyamya pandavah (20)
    Then Arjuna, ... looked at the sons of Dhrtarastra drawn up in battle order; and as the flight of missiles (almost) started, he took up his bow.
    hystkesam tada vakyam
    idam aha mahipate ... (21)
    And, O Lord of earth, he spoke this word to Hrsikesha (Krsna): ...
  4. "Comparative speaker's strength of scheduled languages -1971, 1981, 1991 and 2001". Census of India, 2001. Office of the Registrar and Census Commissioner, भारत. अभिगमन तिथि 31 दिसम्बर 2009.
  5. "'The Old Vedic language had its origin outside the subcontinent. But not Sanskrit.'".
  6. संस्कृत का उदय कैसे हुआ | लिपियों का इतिहास | ब्राह्मी लिपि का इतिहास | खरोष्ठी लिपि का इतिहास |, अभिगमन तिथि 2023-06-30
  7. Sagarika Dutt (2006). India in a Globalized World. Manchester University Press. p. 36. ISBN 978-1-84779-607-3.
  8. Gabriel J. Gomes (2012). Discovering World Religions. iUniverse. p. 54. ISBN 978-1-4697-1037-2.
  9. अमेरिकी पत्रिका (साइंटिफिक अमेरिकन) का दावा- संस्कृत मंत्रों के उच्चारण से बढ़ती है याददाश्त (जनवरी २०१८)
  10. Is Sanskrit the most suitable language for natural language processing?
  11. Guide to OCR for Indic Scripts: Document Recognition and Retrieval (edited by Venu Govindaraju, Srirangaraj Ranga Setlur)
  12. We should thank Sanskrit for the 21st century
  13. Tracing the Trajectory of Linguistic changes in Tamil: Mining the corpus of Tamil Texts
  14. ‘Sanskrit has had profound influence on world languages’
  15. Sanskrit’s Influence on Khmer
  16. "Sanskrit had an influence on Chinese language". मूल से 17 दिसंबर 2020 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 दिसंबर 2020.
  17. How Sanskrit Language Is Associated With The Tibet and Xinjiang?
  18. Jan Gonda (1975), Vedic literature (Saṃhitās and Brāhmaṇas), Otto Harrassowitz Verlag, ISBN 3-447-01603-5
  19. Teun Goudriaan, Hindu Tantric and Śākta Literature, Otto Harrassowitz Verlag, ISBN 3-447-02091-1
  20. Dhanesh Jain & George Cardona 2007.
  21. Hartmut Scharfe, A history of Indian literature. Vol. 5, Otto Harrassowitz Verlag, ISBN 3-447-01722-8
  22. Keith 1996.
  23. Duncan, J.; Derrett, M. (1978). Gonda, Jan (संपा॰). Dharmasastra and Juridical Literature: A history of Indian literature. 4. Otto Harrassowitz Verlag. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 3-447-01519-5.
  24. Keith 1996, ch 12.
  25. Olivelle, Patrick (31 January 2013). King, Governance, and Law in Ancient India. Oxford University Press. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-19-989182-5.
  26. Kim Plofker (2009), Mathematics in India, Princeton University Press, ISBN 978-0-691-12067-6
  27. Pingree, David. A Census of the Exact Sciences in Sanskrit. 1–5. American Philosophical Society. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-87169-213-9.
  28. Valiathan, M.S. (2003). The Legacy of Caraka. Orient Blackswan. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-250-2505-4.
  29. Zysk, Kenneth (1998). Medicine in the Veda. Motilal Banarsidass. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-208-1401-1.
  30. Meyer, J.J. (22 February 2013). Sexual Life in Ancient India. 1 & 2. Oxford University Press. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-1-4826-1588-3.
  31. Keith 1996, ch 14.
  32. John L. Brockington 1998.
  33. Sures Chandra Banerji (1989). A Companion to Sanskrit Literature. Motilal Banarsidass. पपृ॰ 1–4, with a long list in Part&nbsp, II. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-208-0063-2 – वाया Google Books. Spanning a period of over three thousand years; containing brief accounts of authors, works, characters, technical terms, geographical names, myths, [and] legends, [with] several appendices.
  34. Keith & 1996 §4.
  35. Sternbach, Ludwik (1974). Subhāṣita: Gnomic and didactic literature. Otto Harrassowitz Verlag. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-3-447-01546-2.
  36. Berriedale, Keith A. The Sanskrit Drama. Oxford University Press – वाया Archive.org.
  37. Baumer, Rachel; Brandon, James (1993). Sanskrit Drama in Performance. Motilal Banarsidass. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 81-208-0772-3.
  38. Khokar, Mohan (1981). Traditions of Indian Classical Dance. Peter Owen Publishers. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-7206-0574-7.
  39. te Nijenhuis, E. "Musicological literature". Scientific and Technical Literature. A History of Indian Literature. 6. Otto Harrassowitz Verlag. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-3-447-01831-9. Fasc. 1.
  40. Lewis Rowell, Music and Musical Thought in Early India, University of Chicago Press, ISBN 0-226-73033-6
  41. Edwin Gerow, A history of Indian literature. Vol. 5, Otto Harrassowitz Verlag, ISBN 3-447-01722-8
  42. Ludo Rocher (1986), The Puranas, Otto Harrassowitz Verlag, ISBN 978-3-447-02522-5
  43. Karl Potter, The Encyclopedia of Indian Philosophies, Volumes 1 through 27, Motilal Banarsidass, ISBN 81-208-0309-4
  44. Gyula Wojtilla (2006), History of Kr̥ṣiśāstra, Otto Harrassowitz Verlag, ISBN 978-3-447-05306-8
  45. Acharya, P.K. (1946). An Encyclopedia of Hindu Architecture. 7. Oxford University Press. Also see volumes 1–6.
  46. Bruno Dagens (1995), Mayamata : An Indian Treatise on Housing Architecture and Iconography, ISBN 978-81-208-3525-2
  47. Stella Kramrisch, Hindu Temple, Vol. 1 and 2, Motilal Banarsidass, ISBN 978-81-208-0222-3
  48. Rajbali Pandey (2013), Hindu Saṁskāras: Socio-religious study of the Hindu sacraments, 2nd Edition, Motilal Banarsidass, ISBN 978-8120803961
  49. Banerji 1989, पृ॰प॰ 634–635 with the list in Appendix IX.
  50. Eltschinger 2017.
  51. Wayman 1965.
  52. Paul Dundas (2003). The Jains. Routledge. पपृ॰ 68–76, 149, 307–310. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-1-134-50165-6.
  53. Wendy Doniger (1993). Purana Perennis: Reciprocity and transformation in Hindu and Jaina texts. State University of New York Press. पपृ॰ 192–193. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-7914-1381-4.

यह भी देखिए

[संपादित करें]

संस्कृत के विकिपीडिया प्रकल्प

बाहरी कड़ियाँ

[संपादित करें]

संस्कृत संसाधन

[संपादित करें]

संस्कृत सामग्री

[संपादित करें]

शब्दकोश

[संपादित करें]

डाउनलोड योग्य शब्दकोश

[संपादित करें]

संस्कृत विषयक लेख

[संपादित करें]

संस्कृत साफ्टवेयर एवं उपकरण

[संपादित करें]

संस्कृत जालस्थल

[संपादित करें]

लुआ त्रुटि मॉड्यूल:Navbar में पंक्ति 62 पर: अवैध शीर्षक हिंदी भाषा
सन्दर्भ त्रुटि: "lower-alpha" नामक सन्दर्भ-समूह के लिए <ref> टैग मौजूद हैं, परन्तु समूह के लिए कोई <references group="lower-alpha"/> टैग नहीं मिला। यह भी संभव है कि कोई समाप्ति </ref> टैग गायब है।